द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।
द्विवेदीजी की भाषा शैली युगांतरकारी थी। कहने का अर्थ है लेखक की भाषा के कारण ही हिन्दी साहित्य का एक लंबा समय द्विवेदी युग के नाम से जाना जाता है। यह समय 20 वीं सदी के पूर्वाद्ध के कुछ वर्षों में निहित था। वास्तव में लेखक ने हिन्दी साहित्य को भाषा की कसौटी पर कसने का प्रयास किया। उन्होंने व्याकरण की दृष्टि से हिन्दी भाषा को शुद्ध करने का प्रयास किया। उन्होंने हिन्दी भाषा में अधिकांश अवसरों पर तत्सम शब्दों का प्रयोग किया। कहने का अर्थ है उन्होंने भाषा की शुद्धता के ख्याल से हिन्दी में कठिन शब्दों का प्रयोग किया। हालांकि उन्होंने एकाधिक अवसरों पर तद्भव शब्दों का प्रयोग भी किया। इन तद्भव यानि हिन्दी की सरल भाषा के प्रयोग के साथ उन्होंने अपभ्रंश यानि कुछ बिगड़ी बोली का भी हिन्दी भाषा में समावेश किया। कुछ स्थानों पर प्रचलित मुहावरों और कहावतों के प्रयोग से उनकी भाषा में जीवन्तता झलकती है| इसके अलावा उन्होंने अन्य भाषाओं के शब्दों का हिन्दी भाषा में समावेश और प्रयोग पर किया| इस प्रकार लेखक की रचनाओं में उनकी भाषा शैली अनूठी रही।